हाल ही के दिनों में मेरे कई कॉर्पोरेट में कार्यरत दोस्तों से बातचीत हुई है, उन सबका कहना है AI से उनका जॉब किसी न किसी तरह से प्रभावित हो रहा है। कई तो ऐसे मित्र हैं जिनकी नौकरी ही चली गई है; यकायक आने वाली यह घटना एक आपदा बन रही है और एक ओर नया बेरोजगारी संकट हम सबके सामने है। इस आर्टिकल में हम समझने का प्रयास करेंगे कि, क्या कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का तीव्र विकास मात्र तकनीकी उन्नति है, या यह पूंजी और श्रम के बीच ऐतिहासिक संबंधों को पुनर्परिभाषित करने वाला एक सामाजिक-आर्थिक प्रतिमान बदलाव (paradigm shift) है?
AI और नौकरी पर संकट

हालिया रिपोर्टों के अनुसार, AI के बढ़ते उपयोग ने एंट्री-लेवल और दोहराए जाने वाले कार्यों में नौकरियों पर सीधा प्रभाव डाला है, जिससे बड़ी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी हो रही है।[i] [ii] विशेषकर श्वेतपोश (white-collar) कार्यों में, गोल्डमैन सैक्स की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, AI अगले 3-5 वर्षों में 10-20% तक बेरोजगारी बढ़ा सकता है।[iii] भारत जैसे देशों में कॉल सेंटर, मैन्युफैक्चरिंग और अन्य निम्न-कौशल वाले कार्य सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। सेवा क्षेत्र आज एक बहुत बड़े संक्रमण से गुजर रहा है; जहाँ पूर्वानुमान था कि AI सबसे पहले प्राथमिक (कृषि एवं सम्बद्ध क्रियाओं) एवं द्वितीयक (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र में क्रांति लाएगा, तत्पश्चात ही यह उच्च स्किल क्षमता वाले सेवा क्षेत्र में प्रवेश करेगा; लेकिन जिस क्रांतिकारी तरीके से AI दिनोंदिन सीख रहा है, उच्च कौशल और क्रिएटिव क्षेत्रो पर भी संकट मंडरा रहा है। साथ ही रोबोटिक्स में अभी मानवीय अनुकूलन इतना क्रांतिकारी नही रहा, कि प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों में AI ओवरटेक कर ले, लेकिन सेवा क्षेत्र में कंपनियों के अनुकूलन ने इस क्षेत्र में अप्रत्याशित क्रांति की शुरुवात कर दी है।
कंपनियों का लाभ और प्रॉफिट शेयरिंग

AI के आने के बाद कंपनियों का प्रॉफिट कई गुना बढ़ गया है जो मानवीय क्षमता से संभव नहीं था। कंपनियां AI का भरपूर इस्तेमाल करती है और उनसे कम खर्चे में कई बेहतर काम करवा रही है। AI के कारण कंपनियों की उत्पादकता में वृद्धि और लागत में कमी का स्पष्ट असर दिख रहा है। उदाहरण के लिए, अगर AI के इस्तेमाल से प्रोडक्टिविटी 15% तक बढ़ जाए, तो कंपनियां कम कर्मचारियों से ज्यादा मुनाफा कमा रही हैं[iv]। लेकिन यह मुनाफा एक संकुचित समूह (मुख्यतः शेयरधारकों और उच्च प्रबंधन) में ही सीमित रह जाता है — आम कर्मचारियों के पास इसका प्रत्यक्ष लाभ नहीं पहुंचता[v]।
AI ट्रेनिंग में कर्मचारियों की भूमिका और मुआवजा
अकादमिक शोध बताते हैं, कि कर्मचारियों द्वारा AI को प्रशिक्षित करना, एक महत्वपूर्ण लेकिन undervalued योगदान है।[vi] सबसे पहले कंपनियों ने नौकरी कामगारों से अपने AI मॉडल को ट्रेन करवाया और जब AI अच्छी एक्यूरेसी के साथ ट्रेन हो गए, तो उन्ही नौकरी पेशेवर लोगों की नौकरियां हाथ से गई। समस्या यह है कि अधिकांश कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को AI की ट्रेनिंग के समय नियमित वेतन ही दिया, जबकि उनके डेटा और विशेषज्ञता से अत्यधिक मुनाफा कमाया गया। अब जब तेज़ी से AI ने विकास किया, कर्मचारी अभी तक उसके आदि न थे, अतः अधिकांश लोग इसमें पिछड़ गए और अपनी जॉब से हाथ धो बैठे।
आय असमानता, डिजिटल डिवाइड और भारत की विशेष स्थितियाँ
AI का व्यापक संभावित असर यह है कि इससे आय में असमानता (income inequality) और तेज़ होगी।[vii] भारत जैसे देश, जहाँ डिजिटल स्किल्स और शिक्षा-असमानता बहुत अधिक है, वहाँ निम्न आय और ग्रामीण समुदायों का AI क्रांति से और अधिक लोग हाशिये (brink) पर आ रहे है। डिजिटल डिवाइड (digital divide); तकनीकी साक्षरता, कंप्यूटर एक्सेस, आदि इन समुदायों को परिवर्तनकारी जॉब ट्रांजिशन से वंचित कर सकता है।[viii]
कॉर्पोरेट सोशलिज्म की नई वार्ता :
कॉर्पोरेट सोशलिज्म की अवधारणा के अनुसार, कंपनियों को मुनाफा तो निजीकरण के जरिए मिलता है, लेकिन नुक़सान या जोखिम सरकार और समाज उठाता है। इसी संदर्भ में, AI से मिली प्रॉफिट का पुनर्वितरण (redistribution) कैसे हो और इस नए आर्थिक ध्रुवीकरण को कैसे संतुलित किया जाए — यह एक प्रमुख सामाजिक-आर्थिक सवाल है।[ix]
कॉर्पोरेट सोशलिज्म और AI का संबंध समझने के लिए इसे दो प्रमुख बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
1. लाभ का केंद्रीकरण (Centralization of Profit):
AI तकनीक कंपनियों को कम लागत पर ज़्यादा उत्पादन करने में सक्षम बनाती है।
- कर्मचारी विस्थापन: AI के आने से उन नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है, जहाँ काम दोहराव वाला होता है। कंपनियां अब कम कर्मचारियों से अधिक काम करवा सकती हैं, जिससे उनका मुनाफा बढ़ रहा है।
- मालिकों और शेयरधारकों को लाभ: AI के कारण होने वाली यह उत्पादकता वृद्धि सीधे तौर पर कंपनियों के मालिकों और शेयरधारकों के मुनाफे में वृद्धि करती है। यह लाभ समाज के अन्य वर्गों तक नहीं पहुँच पाता, जिससे आय की असमानता (income inequality) बढ़ती है।
- डेटा का निजीकरण: AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए बड़ी मात्रा में डेटा की आवश्यकता होती है। यह डेटा अक्सर कर्मचारियों या आम लोगों से उनके काम या व्यवहार के माध्यम से एकत्र किया जाता है। कंपनियाँ इस डेटा का उपयोग करके मुनाफा कमाती हैं, लेकिन डेटा देने वालों को इसका कोई सीधा लाभ या मुआवजा नहीं मिलता।
यह प्रक्रिया दिखाती है कि कैसे AI के लाभ एक छोटे समूह, यानी कंपनियों और उनके शेयरधारकों, के हाथों में केंद्रित हो जाते हैं।
2. जोखिम का सामाजिकीकरण (Socialization of Risk):
AI से उत्पन्न होने वाले नकारात्मक प्रभावों का बोझ समाज पर पड़ता है।
- बेरोज़गारी का बोझ: जब AI के कारण कर्मचारी अपनी नौकरी खो देते हैं, तो उनका बोझ सरकार और समाज पर आ जाता है। सरकार को बेरोजगारी भत्ता, प्रशिक्षण कार्यक्रम और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर खर्च करना पड़ता है।
- मानसिक और सामाजिक तनाव: नौकरी खोने से व्यक्ति और परिवार पर गंभीर मानसिक और आर्थिक दबाव पड़ता है। यह सामाजिक और मनोवैज्ञानिक लागत, जिसका कोई सीधा आर्थिक मूल्यांकन नहीं किया जा सकता, समाज को ही वहन करना पड़ता है।
- डिजिटल डिवाइड: AI के बढ़ते उपयोग से डिजिटल साक्षरता की खाई (digital divide) और भी बढ़ती जाती है। जिन लोगों के पास तकनीकी कौशल या संसाधन नहीं हैं, वे और भी पीछे छूट जाते हैं, जिससे समाज में और अधिक असमानता फैलती है।
संक्षेप में, कॉर्पोरेट सोशलिज्म का सैद्धांतिक ढाँचा यह समझाता है कि कैसे AI कंपनियां लाभ को अपने पास रखती हैं (लाभ का केंद्रीकरण), जबकि AI से होने वाली बेरोजगारी, आय असमानता और सामाजिक अस्थिरता जैसे जोखिमों को समाज पर थोप देती हैं (जोखिम का सामाजिकीकरण)। यह एक महत्वपूर्ण तर्क है जो AI के आर्थिक और सामाजिक प्रभावों को समझने के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है।
समाधान: पुनः-प्रशिक्षण, मुआवजा और समावेशी नीति
यह निर्विवाद है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उदय एक परिवर्तनकारी शक्ति है, जिसे अकादमिक हलकों में कुछ लोग एक क्षणिक ‘बुलबुले’ के रूप में देखते हैं, जबकि एक प्रगतिशील वर्ग इसे एक अटल वास्तविकता मानकर इसके संभावित लाभों को स्वीकार कर रहा है। इस द्वंद्वात्मक परिदृश्य में, AI को केवल एक चुनौती के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे अवसर के रूप में देखना आवश्यक है जो सुनियोजित हस्तक्षेपों के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक संतुलन स्थापित कर सके।
AI-संचालित नवाचारों से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए, हमें एक बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है जो न केवल विस्थापित श्रमिकों की सहायता करे, बल्कि एक न्यायसंगत और समावेशी भविष्य का निर्माण भी करे। यह रणनीति निम्नलिखित प्रमुख स्तंभों पर आधारित होनी चाहिए:
- सरकार और कॉर्पोरेट्स को मिलकर, AI से प्रभावित कर्मचारियों के लिए स्किल री-स्किलिंग प्रोग्राम और ट्रांजिशनल स्टाइपेंड/मुआवजा देना चाहिए।[x] AI के आने से नौकरी के बाजार में तेजी से बदलाव हो रहा है। जो लोग दशकों से एक ही तरह का काम कर रहे थे, उनके लिए अचानक अपनी नौकरी खोना एक बड़ा झटका होता है। री-स्किलिंग कार्यक्रम उन्हें नई भूमिकाओं के लिए तैयार करता है, जैसे कि डेटा एनालिटिक्स, AI मॉडलिंग, या रोबोटिक्स मेंटेनेंस। वित्तीय सहायता यह सुनिश्चित करती है कि सीखने की प्रक्रिया के दौरान उन्हें आर्थिक असुरक्षा का सामना न करना पड़े। यह सामाजिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- कंपनियाँ ‘pay-for-skills’ आधारित संरचना अपनाएं, ताकि जिन कर्मचारियों के कौशल से AI मॉडल तैयार हुए, उन्हें अतिरिक्त भत्ते या बोनस मिले।[xi] ‘कौशल-आधारित मुआवजा’ एक ऐसा मॉडल है जहाँ कर्मचारियों को उनके विशिष्ट कौशल और ज्ञान के आधार पर अतिरिक्त भुगतान किया जाता है। AI के संदर्भ में, यह उन कर्मचारियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जिन्होंने अपने अनुभव और डेटा के माध्यम से AI मॉडल को प्रशिक्षित करने में मदद की।
- डिजिटल डिवाइड कम करने के लिए ग्रामीण और वंचित समुदायों के लिए विशेष शिक्षा, प्रशिक्षण व अवसंरचना निवेश जरूरी है।[xii] AI और डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास से यह खाई और चौड़ी हो सकती है। अगर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग AI और संबंधित तकनीकों से अनभिज्ञ रहते हैं, तो वे भविष्य की नौकरियों से पूरी तरह से बाहर हो जाएंगे। डिजिटल विभाजन को कम करके, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि AI क्रांति का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुँचे और कोई भी पीछे न छूटे।
- कानूनन व्यवस्था बने कि AI तकनीकी से होने वाले लाभ का एक भाग, जॉब लॉस का सामना करने वाले कर्मचारियों और समाज को लौटाया जाए (for example, windfall tax, या profit-sharing mechanisms)।[xiii] AI के कारण कुछ कंपनियां बहुत अधिक अमीर हो रही हैं जबकि समाज का एक बड़ा हिस्सा बेरोजगार हो रहा है। यह सामाजिक और आर्थिक असंतुलन पैदा कर रहा है। इन तंत्रों के माध्यम से, हम AI के लाभ और जोखिम के बीच एक न्यायसंगत संतुलन स्थापित कर सकते हैं, जिससे समाज में स्थिरता और न्याय सुनिश्चित हो सके।
- 4.1 विंडफॉल टैक्स (Windfall Tax): कंपनियों द्वारा AI के उपयोग से होने वाले अप्रत्याशित और अत्यधिक लाभ पर एक विशेष कर लगाया जा सकता है। इस कर से प्राप्त राजस्व का उपयोग बेरोजगार हुए कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को वित्तपोषित करने के लिए किया जा सकता है।
- 4.2 लाभ-साझेदारी तंत्र (Profit-sharing Mechanisms): कानून के माध्यम से यह अनिवार्य किया जा सकता है कि AI से होने वाले मुनाफे का एक निश्चित प्रतिशत कर्मचारियों या एक सामाजिक कोष में वितरित किया जाए।

AI का विकास एक सच्चाई है, और इसे अनदेखा करना संभव नहीं है। यह सिर्फ एक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि एक सामाजिक और आर्थिक क्रांति है। हमें AI को सिर्फ एक “बुलबुला” मानने के बजाय, इसे समाज के सभी वर्गों के लिए समावेशी बनाने पर ध्यान देना होगा। अगर हम आज सही नीतियां नहीं बनाते हैं, तो AI लाभ और नुकसान के बीच की खाई को और गहरा कर देगा। यह समय है कि हम सिर्फ कंपनियों के मुनाफे के बारे में न सोचें, बल्कि उन लोगों के बारे में भी सोचें जिनकी आजीविका दांव पर है।
संदर्भ
[i] https://jacobin.com/2025/07/artificial-intelligence-worker-displacement-jobs
[ii] https://www.goldmansachs.com/insights/articles/how-will-ai-affect-the-global-workforce
[iii] https://mronline.org/2025/08/18/ai-job-loss-hype-could-serve-as-smokescreen-for-trump-recession/
[iv] https://www.goldmansachs.com/insights/articles/how-will-ai-affect-the-global-workforce
[v] https://theimpactinvestor.com/corporate-socialism/
[vi] https://www.imercer.com/articleinsights/skills-based-comp-and-ai-canada
[vii] https://www.cgdev.org/blog/three-reasons-why-ai-may-widen-global-inequality
[viii] https://jmra.in/archive/volume/11/issue/1/article/16025
[ix] https://theimpactinvestor.com/corporate-socialism/
[x] https://www.imf.org/en/Blogs/Articles/2024/01/14/ai-will-transform-the-global-economy-lets-make-sure-it-benefits-humanity
[xi] https://www.imercer.com/articleinsights/skills-based-comp-and-ai-canada
[xii] https://jmra.in/archive/volume/11/issue/1/article/16025
[xiii] https://theimpactinvestor.com/corporate-socialism/


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